इतिहास

                                         

भारतीय उष्णदेशीय मौसमविज्ञान संस्थान, पुणे

स्वतंत्रता प्रप्ति के पश्चात् सन 1950 के दशक में जब देश में आर्थिक विकास कार्यक्रम शुरू किया गया तब मूलभूत वायुमंडलीय समस्याओं का अध्ययन करने एवं विशेष रूप से मानसून क्षेत्रों में मानसून की क्रियाविधि, मौसम प्रणाली और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में जलवायु संबंधी प्रक्रियाओं को समझने की आवश्यकता, भारत के लिए तीव्र हो गई। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) ने अपनी तीसरी कांग्रेस में उष्णकटिबंधीय देशों में मौसम विज्ञान अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की सिफारिश की। इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से भारत सरकार द्वारा फरवरी 1962 में अपनी तीसरी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत एक योजना के रूप में अनुमोदित किया गया और अंततोगत्वा 17 नवंबर, 1962 को पुणे (तब पूना), में उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईटीएम) को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की एक अलग इकाई के रूप में स्थापित किया गया। भारत सरकार द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन (सीओएसआर) के लिए नियुक्त समिति की सिफारिश के परिणामस्वरूप संस्थान 1 अप्रैल 1971 को भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के नाम पर एक स्वायत्त संगठन के रूप में परिवर्तित हो गया।

प्रारंभिक वर्षों में संस्थान, आईएमडी (भारत मौसम विज्ञान विभाग) के साथ, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत काम करता रहा, लेकिन बाद में 1985 में इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत लाया गया और अब, 12 जुलाई 2006 से आईआईटीएम विशेष रूप से गठित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

प्रारंभ में  संस्थान, शिवाजी नगर में IMD की इमारतों में से एक रामदुर्ग हाउस में और पुणे में किराये के आधार पर कुछ अन्य स्थानों से कार्य कर रहा था जब तक कि IITM को पाषाण  में अपना भवन प्राप्त नहीं हुआ था। पाषाण परिसर को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया गया और कुछ विभागों ने 1982 से ही तथा पूरे संस्थान ने 1989 से काम करना शुरू कर दिया था।

आईआईटीएम मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक कौशल प्रदान करने वाला एक अद्वितीय अनुसंधान संस्थान है जिसके संभावित अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, जल संसाधन, परिवहन, संचार आदि में शामिल है।यह मानसून मौसम विज्ञान में मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता है।

मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के विश्वस्तरीय योगदान पर करियर में संस्थान को गर्व है। उनमें से प्रमुख हैं, स्व. प्रो. पी.आर. पिशारोटी, स्व. प्रो. आर. अनंतकृष्णन, स्व. प्रो. जी.सी. असनानी, डॉ. आर.पी. सरकार, श्री डी. आर. सिक्का, प्रो. आर.एन. केशवमूर्ति, डॉ. आर.आर. केलकर, प्रो. जगदीश शुक्ल, प्रो. सुलोचना गाडगिल, प्रो.बी.एन. गोस्वामी, डॉ. एम. राजीवन आदि।